कोला कम्पनियों का नया मंत्र: छीनो-झपटो और आगे बढ़ो - डा. कृष्ण स्वरूप आनन्दी

''एक काम जो मुझे कर देना चाहिये था वह यह कि मुझे भारत में तीन साल पहले आना चाहिये था और कहना चाहिये था; 'ये उत्पाद दुनिया के सबसे सुरक्षित उत्पाद है, कुछ भी हो, आपका ........' पेप्सी को की सीइओ इन्दिरा नुई ने यें बाते अमरीका की बिजिनेस बीक पत्रिका से एक इन्टरवियू के दौरान कही।
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यह उदाहरण है गुलाम मस्तिष्क की विमुखी अवस्था की मालिक भारत में पैदा हुई अब हाउस्टन की नागरिक इन्दिरा नुई का। एक अमरीकन कम्पनी के हितों की रक्षा करने का काम करने वाली, इन्दिरा नुई ने अपने वक्तव्य में न केवल विज्ञान को झिड़क दिया बल्कि भारतीय विज्ञान प्रयोगशालाओं की विश्वसनीयता, भरोसा और प्रमाणिकता पर भी प्रश्न चिह्न लगा दिया।
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'कोला में कीटनाशक' के विवाद के पूर्व उच्चतम न्यायालय ने 2 दिसम्बर 2002 को पेप्सी कोला कम्पनी की हिमालय पर्वत की चट्टानों पर पेंट से विज्ञापन लिखने के कारण हो रहे पर्यावराीय नुकसान के लिए खिंचाई की थी। उसके बाद, दुनिया भर में कम्पनी की इस बात के लिये भारी निन्दा हुई कि भारत में इसके कारखाने भूजल का भारी दोहन कर रहे हैं। उस समय इन्दिरा नूई पेप्सी कोला कम्पनी की मुख्य वित्ता अधिकारी हुआ करती थी।

-- पेप्सीको इण्डिया होल्डिंग प्राइवेट लिमिटेड ने भारत सरकार से कह है कि 1997 के उस कानून को रद्द किया जाय जिसके मुताबिक कम्पनी द्वारा भारत में अधिग्रहित किये गये स्थानीय बाटलिंग प्लांटो की 49 प्रतिशत अंशधारिता भारतीय निवेशकों को देने की अनिवार्य शर्त है। कम्पनी ने इस नियम को समाप्त करने के लिये तर्क दिया है कि अब चुकि देश में खाद्यान्न प्रसंस्करण इकाइयों में 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष पूंजी निवेश की इजाजत है इसलिये इस नियम की कोई आवश्यकता नहीं है।
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--9 जून, 2007
- पेप्सी इंटरनेशनल ने कहा कि कम्पनी रसियन शहर अजोव में खाद्यान्न प्रसंस्करण की ईकाई लगायेगी जिसमें अगले 5 वर्षो में 17 करोड़ डालर निवेश किया जायेगा।
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-18 जून, 2007
-'कोला में कीटनाशक' विवाद की प्रष्ठभूमि में पेप्सी कोला कम्पनी ने निर्णय लिया कि यह अपने उत्पादों पर 'विश्वभर में एक जैसी गुणवत्ता' की मोहर गुणवत्ता प्रर्दशित करने के लिये लगायेगी। यह मोहर कार्बोनेट्ड ड्रिंक्स, फ्लैवर्स, स्पोर्ट्स ड्रिंक्स, एक्वाफीना, स्नैक्स फूड्स सभी पर लगायी जायेगी। 'पेप्सी कोला के' उत्पादो को छोड़ चुके उपभोक्ताओं का विश्वास जीतने की पेप्सी कोला कम्पनी की एक और तिकड़म है। कीटनाशक विवाद के बाद से कम्पनी लगातार विरोध अभियान चला रही है, मीडिया में विज्ञापन दे रही है। एक विज्ञापन मे तो कम्पनी के भारत के चेयरमैन, राजीव बक्शी स्वयं कम्पनी के उत्पादों को सुरक्षित बताते दिखायी पड़ रहे हैं।
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- सिंगापुर और अमरीका के 'रे लांउज अनुभव' से संकेत लेते हुए, कोकाकोला कम्पनी अब केवल फुटकर विक्रताओं को बोतलों की डिलीवरी नहीं करेगी बल्कि सीधे उपभोक्ताओं के बीच में पहुंचेगी और विश्राम स्थलों पर बड़े स्क्रीन पर टीवी देखने की सुविधा, विडियो गेम्स खेलने और नेट सर्फिंग करने की सुविधा देगी जिससे युवा आर्कर्षित हो सके और इसकी बोतलों को खरीद कर पियें।
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-27 जून, 2007
- कोका कोला इण्डिया ने जैन इरिगेशन सिस्टम्स को 84 करोड़ रुपये का ठेका आम का जूस सप्लाई करने के लिये दिया। यह जूस माजा बनाने में इस्तेमाल किया जायेगा। जैन इरिगेशन सिस्टम ने अभी हाल में ही इजरायली कम्पनी-नीआंदन का अधिग्रहण किया है।
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-1 जुलाई, 2007
- पेप्सी कोला की चेयरमैन इन्दिरा नुई, जो स्वयं विलयन और अधिग्रहण में माहिर हैं, ने अपनी कम्पनी के भारतीय अधिकरियों को नया मंत्र दिया ''छीनो-झपटो और आगे बढ़ो''।
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चुंकि कम्पनी विश्व स्तर पर प्रतिवर्ष 5 अरब डालर का शुध्द सरप्लस धन पैदा करती है, इसलिये कम्पनी द्वारा किसी भी प्रकार के अधिग्रहणों पर कोई रोक नहीं है। उन्होने अपनी भारतीय टीम को कहा कि भारत में दूध आधारित पेय, फल जूस बनाने वाली स्थानीय इकाइयों का अधिग्रहण करें। उनके द्वारा पेप्सी कम्पनी का विश्वभर में काफी विस्तार किया गया है। पेप्सी कोला ने 13.8 अरब डालर में क्वेकर ओट्स और 'ट्रोपिकन जूस' कम्पनियों का अधिग्रहण किया है।
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-2 जुलाई, 2007
-'कोक डेवलप्स थ्रस्ट फार सस्टेनेबिलिटी' नामक कहानी में जैनी विगिन्स लिखती है- ''कोक विरोधी बेव साइटे दावा करती है कि विश्व के विशाल साफ्ट ड्रिंक्स समूहों का बिजिनेस माडल गंदगी, प्रदूषण, सदेहास्पद पोषण फैलाने वाला है''।........... डच मैनेजमैंट स्कूल व्लेरिक लोवान घंट ने कोक यूरोप पर मार्च मे सर्वे करते हुए पाया कि 40 प्रतिशत से ज्यादा लोग मानते है कि साफ्ट ड्रिंक्स कम्पनियाँ समाज में सकारात्मक योगदान नहीं दे रही''

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