अदम्य बॉबी, न कि तितली

फिल्म समीक्षा :
फ्रांसीसी क्रान्ति को आत्मसात करता हुआ (Embodying French Revolution)

अग्र मस्तिष्क के निष्क्रिय हो जाने के परिणामस्वरूप अपने स्वयं के ही शरीर में वस्तुत: फंसे एक फ्रांसीसी लेखक पलक झपकने के रास्ते ही अपने सर्वोत्तम को प्रकट करते हैं। परिणाम में आयेी है एक आश्चर्यजनक किताब जिस पर बाद में पुरष्कृत फिल्म भी बनी : एक समीक्षा।
ऑंचल खुराना

द डाइविंग बैल एण्ड द बटरफ्लाई एक फ्रांसीसी पत्रकार, लेखक और इली मैगजीन के सम्पादक-जीन डॉमीनीक बॉबी के जीवन पर आधारित सत्य कहानी है, जिसमें उसका जीवन पलक झपकने जितने समय में ही बदल जाता है। वह अपने शरीर में ही कैद रहता है जब तक उसकी स्वयं की कल्पना उसे मुक्त नहीं करती। शीर्षक द डाइविंग बैल उसके शरीर को व्यक्त करता है जिसमें वह कैद है और तितली, विचारों की उसकी स्वतंत्रता को।
बॉबी को मस्तिष्कीय आघात हुआ और उसके अग्र मस्तिष्क की सारी गतिविधियां रूक गयी, एक तरह से निष्क्रिय हो गयी। इस स्थिति को लोकप्रिय भाषा में ताले में बन्द-लक्षण (Locked–In Syndrome) के नाम से जानते हैं जिसमें मरीज सचेत और चेतनशील तो रहता है, परन्तु पूरी तरह लकवाग्रस्त रहता है, चलने में, बातचीत करने में अक्षम। शरीर की सभी स्वैच्छिक मांसपेशियां काम करना बंद कर देती हैं। परन्तु इस लकवे से आंख की पलकों की गतिविधि अप्रभावित रहती है। कुछ मरीजों में चेहरे की कुछ मांसपेशियों को चलाने की थोड़ी सी क्षमता बची रहती है। बॉबी के मामले में, केवल बांई आंख की पलक को नियंत्रित करने का एक मात्र शरीरिक कार्य बचा हुआ था। इस बीमारी के मरीजों को बातचीत करने और हाव भाव प्रकट करने में मदद करने के लिये बहुत ही सीमित तकनीकें उपलब्ध हैं। इस बीमारी का न तो कोई मानक उपचार और न ही कोई रोकथाम उपलब्ध है।
एकमात्र उपलब्ध तरीके से ही, बॉबी ने पलक झपक-झपक कर एक पूरी पुस्तक लिखवा डाली। वह अपने दुभाषियों को सही शब्द के लिये एक बार पलक झपक कर और गलत शब्द के लिये दो बार पलक झपक कर इशारा करता और इस प्रकार एक पूरा मूल पाठ उसने लिखवा डाला। ऐसा करते समय वह कल्पना और याददाश्त के सहारे अपने शरीर से निकल जाता और दुनिया भर की सैर करता रहता। जैसा कि एक प्रसिध्द रूसी लेखक गोगोल ने एक बार लिखा कि किसी दूसरे के लिखे यात्रा वृतान्त को पढ़ कर दूर स्थानों की यात्रा करना सम्भव है। यह फिल्म उसी किताब का रूपान्तरण है जो 1997 में बॉबी की मृत्यु के दो दिन पूर्व ही छप कर आयी। इस किताब में, बॉबी ने अपने अंदर की दुनिया की अंर्तदृष्टि, अपने जीवन की दुर्दशा की व्यथा, अपने भूतकाल के बारे में जानकारियां और काल्पनिक स्थानों की अपनी यात्राओं के बारे में जोड़ा है। बॉबी का दुरूस्त मस्तिष्क पूरी तरह सक्रिय रहता है और यह पता चलता है जब वह गहराई के साथ वह अपनी परिस्थिति पर टिप्पणी करता है। ''बेहोशी के कुहासे से निकल कर ऊपर को तैरते हुए, तुम कभी भी सच्ची वास्तविकता को नहीं पा सकते। तुमको कभी भी तुम्हारे सपने खो जाने की विलासिता उपलब्ध नहीं है।''
निर्देशक जूलियन स्नोबेल ने यह फिल्म अपने पिता को समर्पित की जो मरने से बहुत डरते थे। निर्देशक मानते हैं कि वे अपने पिता को लेकर असफल रहे हैं ओर वे कभी भी उन्हें मृत्यु के डर से नहीं उबार सके। अपने इस अपराधबोध से मुक्ति के लिये यह फिल्म उन्होंने बनायी। यह फिल्म स्पष्ट रूप से उन लोगों के लिये एक आशावान स्रोत है जो किसी न किसी रूप में ताले में बंद लक्षण के शिकार हैं।
मजेदार रूप से, इस फिल्म में प्रदर्शित कुछ चरित्र इंटोनियोनी की फिल्मों में प्रदर्शित विचारों से काफी समानता रखते हैं, बल्कि एक कदम और आगे जाते हैं, जिससे जीवन को अर्थ प्रदान करने वाले विचार को गढ़ा जा सके-किसी भी कीमत पर धन कमाने का उद्यम, आधुनिक विश्व में मनुष्य का विमुखीकरण, स्मरणशक्ति की हमेशा संदेहयोग्य सच्चाइयां और व्यवस्था की विलक्षणताओं का लकवा।
बॉबी के परिश्रमी जीवन प्रयत्नों का हृदय विदारक और भावनाओं को प्रभावित करने वाला चित्रण दर्शकों के एकाग्र ध्यान को पकड़ लेता है। मानवीय संभावनाओं और आशा की ऊर्जा उन्हें अत्यंत तीव्र श्रध्दायुक्त विस्मय से भर देती है। उसकी परित्यक्त और अक्षम अवस्था अभिव्यक्ति का एक सृजनात्मक रास्ता खोज लेती है, जिसकी मदद से वह अपने दर्द कम कर पाता है। उसके शब्दों मात्र के सहारे कोई भी अनंत दूरियां हैं, वे दूरियां जो कैमरे की मदद से हम तक आ जाती हैं, तय कर सकता है। जैसा कि वह उदात्त भावना से लिखता है-
''मेरी गोता खाती हुई घंटी कम अत्याचारी हो जाती है और मेरा मस्तिष्क तितली की तरह उड़ान भरता है। कितना कुछ करने के लिये है। तुम समय और काल के अंदर टहलते हो, टियेरा डेल फ्यूगो या किंग मिदास के दरबार की यात्रा करते हो। तुम उस महिला के पास जा सकते हैं जिसे तुम प्यार करते हो, उसकी बगल में लेट सकते हो, उसके सोते हुए चेहरे को थपथपा सकते हो। तुम स्पेन में किला बना सकते हो, सुनहरी खाल को चुरा सकते हो, एटलांटिस की खोज कर सकते हो, और अपने बचपन के सपने और प्रौढावस्था की महत्वाकांक्षाए ं साकार कर सकते हो।''
यह फिल्म बहुत ही सुंदर तरीके से मानवीय सृजनशीलता की शक्ति का चित्रण करती है। जरूरी प्रेरणा और संकल्प के साथ जुड़ जाने पर यह क्या कुछ नहीं कर सकती। आखिरकार सृजनशीलता ने हमेशा मनुष्य को विपत्तियों से उबारा है-एक उर्वर निकास-एक रास्ता अपने दर्द को कम करने का दिया है।
यह कथा इस तथ्य पर भी प्रकाश डालती है कि दुर्घटनाएं और दुखद घटनाएं ऐसे समय पर होती हैं जब उनकी सबसे कम उम्मीद की जाती है। तब कोई भी अपने मस्तिष्क की और दुनिया की गलियों में भटक कर अपना रास्ता भूल सकता है। कभी कभी अपने सोये पुरूषार्थ को जगाने के लिये प्रचंड उपद्रव की जरूरत पड़ती है। निराशा के बजाय बॉबी श्रध्दापूर्ण विस्मय जगाता है क्योंकि वह सिक्के के दूसरे पहलू को देखता है, जिससे सृजनात्मक निकास दिखलायी पड़ता है जो मानवीय कष्टोें को बदलने और दुख को कम करने के योग्य उसे बनाता है। जो सारतत्व अभी तक उपेक्षित है उस पर मनुष्य का ध्यान केंद्रित हो इसके लिये कुछ दुखद घटना घटित होने की जरूरत को यह उजागर करती है। बहुधा ऐसी दुखांत घटना नायक के ध्यान में अस्तित्व से जुड़े उसके विश्वासों को वापस उस तक लाती है और कई बार उसे उन विश्वासों पर प्रश्न उठाने को मजबूर करती है।
फिल्म के कलाकारों में अत्यधिक प्रतिभाशाली कलाकारों का समूह है जो काफी कुशाग्रता से चरित्रों को खेलते हैं। सभी कलाकार फिल्म के अन्य तत्वों से पूर्ण तालमेल बैठा लेते हैं। जीन डॉमीनीक बॉबी का चरित्र मैथ्यू अमालरिक ने निभाया है। मैरी जोसे क्रोज उसके बोलचाल चिकित्सक बने हैं और एमेन्यूएल सिगनेर उसके बच्चों की मां बनी हैं। मैक्स वॉन सिडो उसके 92 वर्षीय पिता की भूमिका में हैं जो यह जानते हैं कि वे अपने बेटे को पुकारेंगे परन्तु उस आवाज को उनका बेटा कभी नहीं सुनेगा। बहुत ही सुंदर ढंग से यह भूमिका निभायी गयी है। अपने पेशे में शीर्ष पर बैठे बेटे की महत्वपूर्ण जिंदगी में घटी दुर्धटना से टूटे हुए दयालु, कमजोर और बूढ़े बाप की भूमिका। टॉम बेट्स का संगीत, लोलिता एवं पॉल कैटीलोन के पियानो ने कहानी को प्रबल भावनात्मक स्पर्श प्रदान किया है।
यह फिल्म फ्रांस में मई 2007 में आयी और यू.के. में अगस्त 2007 में। अन्य देशों में इसका सार्वजनिक प्रदर्शन होने का अभी इंतजार है। इस वर्ष के शुरू में यह केन्स फिल्म उत्सव में तकनीक ग्रांड पुरस्कार और सर्वोत्तम निर्देशक का पुरस्कार जीत चुकी है।

2 टिप्‍पणियां:

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